इस लेख में आप एडोल्फ हिटलर की जीवनी (Biography of Adolf Hitler in Hindi) पढ़ेंगे। इसमें आप वह कौन था, जन्म व प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा, कई युद्धों में भूमिका, मृत्यु जैसी मुख्य जानकारियाँ दी गई है।
हिटलर जर्मनी के एक बेहद प्रसिद्ध राजनेता थे और राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी (NSDAP) अथवा नाजी पार्टी के सबसे बड़े नेता भी थे। एडोल्फ हिटलर द्वितीय विश्वयुद्ध के जिम्मेदार माने जाते हैं। बीसवीं सदी में हिटलर का खौफ पूरे यूरोप के साथ ही दुसरे देशों में भी छाया था।
कई आधिकारिक रिपोर्ट्स के मुताबिक़ एडोल्फ हिटलर ने लगभग एक करोड़ से भी अधिक बेकसूर लोगों को मौत के घाट उतारा था। आज भी पूरा विश्व तानाशाह एडोल्फ हिटलर की त्रासदी को भुला नहीं पाया है।
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Who Was Adolf Hitler in Hindi?
आज के दौर में जहां दुनिया के तमाम देश स्वयं को लोकतांत्रिक साबित करने में जुटे हैं, वहीं एक समय ऐसा भी था, जब लोकतंत्रको कुचलने वाले सबसे क्रूर तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने मानवता की सारी हदें पार कर दी थी। एडोल्फ हिटलर का नाम सर्वाधिक घृणित लोगो की सूची में सबसे पहले स्थान पर लिया जा सकता है।
ऑस्ट्रिया में जन्मे एडोल्फ हिटलर प्रारंभ में एक बेहद साधारण व्यक्ति थे, लेकिन प्रथम विश्वयुद्ध के बाद दुनिया भर से जर्मनी को दी जाने वाली त्रासदी ने उन्हें एक तानाशाह के रुप में उभरने के लिए प्रेरित किया।
ऑस्ट्रेलिया की राजधानी हंगरी में 20 अप्रैल सन 1889 के दिन एडोल्फ हिटलर का जन्म हुआ था। उनकी माता का नाम क्लारा हिटलर और पिता का नाम एलोइस हिटलर था। एडोल्फ हिटलर अपने माता-पिता की कुल 6 संतानों में से चौथे बच्चे थे।
घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी, जिसके कारण बचपन में ही उनके तीन भाई बहनों की मृत्यु हो गई। इसके पश्चात हिटलर अपने माता पिता के साथ मात्र 3 वर्ष की आयु में ऑस्ट्रिया से जर्मनी रहने के लिए चले गए।
एडोल्फ हिटलर के पिता स्वभाव से बड़े ही कट्टर थे, जिसके कारण एडोल्फ का बचपन बड़े ही दूषित माहौल में बीता। उनके पिता का यह गुण एडोल्फ में भी आया, जिसके कारण उनके अंदर गुस्सा और चिड़चिड़ापन हमेशा ही रहता था।
जब एडोल्फ हिटलर छोटे थे, तब उनकी माता को कैंसर की बीमारी हो गई थी। वे अपने पिता की तुलना में माता से अधिक स्नेह करते थे। 1903 में स्वास्थ्य खराब होने के कारण एडोल्फ हिटलर के पिता की मृत्यु हो गई, जिसके पश्चात उनकी मां क्लारा ने हिटलर की परवरिश की।
दुर्भाग्यवश कुछ सालों बाद ही एडोल्फ की मां का भी देहांत हो गया जिसके बाद हिटलर को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस प्रकार एडोल्फ हिटलर का प्रारंभिक जीवन बेहद कठिन परिस्थितियों से गुजरा।
एडोल्फ हिटलर बचपन में बहुत होनहार विद्यार्थी थे। वह बाकी विद्यार्थियों की तुलना में थोड़े अधिक जिज्ञासु और कलात्मक थे, जिसके कारण विद्यालय के सभी शिक्षकों के वे प्रिय छात्र भी रहे। बचपन से ही एडोल्फ हिटलर फाइन कला में रुचि रखते थे, लेकिन उनके पिता को यह अच्छा नहीं लगता था।
एडोल्फ हिटलर के पिता उन्हें टेक्निकल स्कूल में पढ़ाना चाहते थे। हिटलर और उनके पिता के बीच अक्सर मतभेद रहता था, जिसके कारण ही एडोल्फ असंतुष्ट और गुस्सैल बच्चे बनते गए।
सितंबर सन 1900 में एडोल्फ को लिंज के रेअल्स्चुयल में टेक्निकल की पढ़ाई करने के लिए भेज दिया गया। क्योंकि उनकी रूचि के विपरीत उनका दाखिला यहां करवाया गया था, जिसके कारण स्कूल में उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा।
1903 में जब उनके पिता की मृत्यु हो गई, तब एडोल्फ हिटलर की मां ने उन्हें उस स्कूल को छोड़कर अपने रुचि अनुसार पढ़ाई करने की अनुमति दे दी।
बचपन से ही उनकी यह ख्वाहिश थी, कि वह बड़े होकर एक बेहद मशहूर पेंटर बने। जिसके लिए एडोल्फ हिटलर ने लिंज से विएना जाकर विनर्स अकैडमी में फाइन कला की शिक्षा लेने के लिए गए, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें वहां जगह नहीं मिली।
19वीं सदी के दौरान यहूदी दूसरे धर्म के लोगों की तुलना में बेहद प्रगति कर रहे थे। सबसे ज्यादा बुद्धिमान और धनवान यहूदी ही माने जाते थे, जिसके कारण उन्हें सरकार से भी कई सुविधाएं अलग से दी जाती थी।
यही कारण है कि यहूदियों को लेकर दूसरे लोगों में असमानता की हीन भावना पैदा होने लगी। एडोल्फ हिटलर भी यहूदियों से नफरत करते थे। इस दौरान जर्मनी आर्थिक मंदी से गुजर रहा था, जिसके कारण युवाओं में अहिंसा और अमानवीय गतिविधियां पनप रही थी।
आर्थिक तंगी के कारण एडोल्फ हिटलर ने प्रथम विश्वयुद्ध में सेना के रूप में भर्ती ली और फ्रांस में होने वाली लड़ाई में उन्होंने हिस्सा लिया। इस युद्ध में जर्मनी की करारी हार हुई और 1918 में प्रथम विश्वयुद्ध का अंत हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध की लड़ाई में एडोल्फ हिटलर को बहुत चोट पहुंची थी और वे जर्मनी के हार से बहुत दुखी थे।
साम्यवादियों और यहूदियों को जर्मनी की इस हार का जवाबदार ठहराया गया। जिसके बाद 1918 में एडोल्फ हिटलर द्वारा नाजी दल की स्थापना की गई। नाजी दल का मुख्य उद्देश्य यहूदियों और साम्यवादियों के सभी अधिकारों को छीनना था। प्रथम विश्वयुद्ध के लिए जर्मनी को जिम्मेदार ठहराया गया, जिसके बाद जर्मनी पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध भी लगाए गए।
प्रथम विश्वयुद्ध में एडोल्फ हिटलर एक सामान्य नागरिक थे, लेकिन युद्ध खत्म होने के बाद सन 1922 आते-आते एडोल्फ हिटलर एक बेहद प्रभावशाली वक्ता और नेता के रूप में उभरने लगे। हिटलर यहूदी और बाकी कई धर्मों से घृणा करते थे।
उन्होंने उल्टा स्वास्तिक के चिन्ह को अपना दल चिन्ह बनाया और 1923 में जर्मनी की सरकार को गिराने का प्रयत्न किया। लेकिन वे सफल नहीं रहे जिसके बाद जर्मन सरकार द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
एडोल्फ हिटलर को सन 1923 में हिंसक विचारधारा को बढ़ावा देने के कारण जर्मन सरकार द्वारा जेल भेज दिया गया। जर्मन के मूल नागरिकों के पक्ष में कार्य करने की वजह से एडोल्फ हिटलर बड़े ही लोकप्रिय हो गए थे।
अपनी लोकप्रियता को देखते हुए जब हिटलर बाहर आए तब 1932 में राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लिया, लेकिन वे असफल रहे।
हिटलर के देश प्रेम को देखते हुए 1933 में उन्हें जर्मनी का चांसलर बना दिया गया। जिसके बाद उन्होंने देश के सभी साम्यवादी दलों पर प्रतिबंध लगा दिया और जर्मनी के संसद को भंग कर दिया। धीरे धीरे एडोल्फ हिटलर ने पूरे जर्मनी पर अपनी कट्टर विचारधारा के बदौलत काबू पा लिया।
हिटलर ने बेहद कम समय में पूरे जर्मनी पर शासन कर लिया, जिसके बाद यूरोप के दूसरे कमजोर देशों में भी हिटलर का खौफ बढ़ने लगा। अब एडोल्फ हिटलर देश के सबसे बड़े नेता बन चुके थे और वह खुद को सरेआम जर्मनी का सर्वे सर्वा बताते थे।
एक-एक करके एडोल्फ हिटलर ने सभी पुराने सरकारी मंत्रियों की हत्या कर दी और खुद ही सभी बड़े पदों पर आसीन हो गए।
एडोल्फ हिटलर अब तानाशाह बन गए, जिसके बाद उन्होंने प्रत्येक यहूदी, रोमानिया और अन्य धर्म के लोगों को ढूंढ-ढूंढ कर मारना शुरू कर दिया। छोटे से देश जर्मनी पर शासन करने वाले हिटलर ने सोवियत संघ पर भी हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन वह कामयाब नहीं रहे।
चारों तरफ नरसंहार और युद्ध के वारदात को देखते हुए द्वितीय विश्व युद्ध होने की संभावना बढ़ती गई और आगे चलकर एडोल्फ हिटलर द्वितीय विश्व युद्ध का कारण बने।
हिटलर जैसे ही सत्ता में आए उन्होंने ब्रिटेन, फ्रांस और कई देशों के साथ संधियां की, लेकिन कुछ सालों के अंदर ही सभी अंतर्राष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करके अन्य कमजोर देशों पर कब्जा करना चाहा।
बसाई की संधि को तोड़कर एडोल्फ हिटलर ने अपनी सेना को फ्रांस के पूर्व दिशा में आए राइन नदी के प्रदेशों पर कब्जा करने के लिए भेज दिया। 1937 में इटली के साथ संधि करके ऑस्ट्रिया पर अपना कब्जा जमा लिया।
जिसके बाद यूरोप के ही एक छोटे और कमजोर देश चेकोस्लोवाकिया के कई हिस्सों पर कब्जा करने का विचार किया, जहां जर्मनी के निवासी रहते थे। कुछ ही सालों में हिटलर ने सोवियत संघ के साथ संधि करके पोलैंड के कई हिस्सों पर अपना हक जमा लिया।
उस समय ब्रिटेन काफी शक्तिशाली देश था, जिसके कारण उसने अपने मित्र राष्ट्र पोलैंड को बचाने के लिए अपनी सैन्य टुकड़ी भेज दी, जिसके चलते द्वितीय विश्वयुद्ध का प्रारंभ हुआ।
इटली के तानाशाह मुसोलिनी से एडोल्फ हिटलर की बेहद गहरी मित्रता थी, जिसके चलते दोनों देशों ने संधि करके रूम सागर के आसपास का क्षेत्र कब्जा लिया। जिसके बाद एडोल्फ हिटलर ने सोवियत संघ के पश्चिमी प्रदेशों पर आक्रमण करने का मन बनाया, लेकिन वह अपनी मंशा में कामयाब नहीं रहे। जर्मनी के खिलाफ अब कई बड़े देशों ने एक साथ मिलकर विरोध किया।
जैसे ही अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध में शामिल हुआ तभी से जर्मनी की हालत बिगड़ने लगी। अंदर ही अंदर कुछ ही समय में एडोल्फ हिटलर की अपनी सरकार में मतभेद होने लगी और सैनिकों ने विद्रोह करना प्रारंभ कर दिया। द्वितीय विश्वयुद्ध में एडोल्फ हिटलर ने लाखों लोगों को मौत की सजा दी थी।
यह इतिहास का सबसे काला पन्ना कहा जा सकता है, जब जर्मनी में बेसहारा लाशों के ढेर लगती थी। जैसे ही ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और दूसरे कई बड़े देशों ने साथ मिलकर जर्मनी से हिटलर के शासन को खत्म किया, तब जाकर द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति हुई।
हिटलर को मौत का सौदागर कहा जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है। लाखों लोगों की निर्मम हत्या करवाने वाले एडोल्फ हिटलर स्वभाव से बड़े ही चिड़चिडे थे। किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी, कि वह तानाशाह हिटलर के सामने ऊंची आवाज में बात भी कर सके।
एडोल्फ हिटलर वैसे तो बचपन में बेहद होशियार छात्र थे, लेकिन पारिवारिक मतभेदों के चलते उनके मन में क्रोध और अशांति की भावना विस्तृत हो गई थी।
आश्चर्य की बात है कि यहूदियों से घृणा करने वाले हिटलर का पहला प्यार एक यहूदी लड़की ही थी।
1938 में टाइम्स मैगजीन द्वारा एडोल्फ हिटलर को ‘द मैन ऑफ द ईयर’ टाइटल प्रदान किया गया जो बड़ी अजीब बात है।
एडोल्फ हिटलर वैसे तो स्वभाव से बेहद हिंसक थे, लेकिन कहा जाता है कि वह शाकाहारी थे, इसके अलावा उन्हें धूम्रपान से भी बेहद नफरत थी।
इंसानियत की सारी हदें पार करने वाले तानाशाह अपने व्यक्तिगत जीवन में पशु प्रेमी थे। अपने शासन काल में एडोल्फ हिटलर ने पशु क्रूरता पर बेहद कड़े कानून भी बनवाए थे। 1929 में हिटलर अपनी प्रेमिका इवा ब्राउन से मिले और आत्महत्या करने के एक दिन पहले 29 अप्रैल 1945 के दिन दोनों ने शादी कर ली।
एडोल्फ हिटलर की क्रूरता इस हद तक बढ़ गई थी, कि हर एक व्यक्ति केवल उसके नाम से ही खौफ खाता था। हिटलर ने विशेषकर यहूदियों को मारने के लिए तहखाने और जेल बनवाए थे, जहां वह लोगों पर कई अजीबोगरीब एक्सपेरिमेंट करवाता था।
छोटे-छोटे मासूम बच्चों तक को बख्शा नहीं जाता था और उन्हें बेहोशी का इंजेक्शन दिए बिना ही नाखून, मास और हाथ पैर उखाड़ लिए जाते थे।
एडोल्फ हिटलर प्रतिदिन हजारों लोगों को इन तहखानों में लाता था और उन्हें तड़पा- तड़पा कर मारा जाता था। लोगों की लाशों को एक बड़े से भट्टी में जलाया जाता था, जिसका धुआं दूर-दूर तक फैलकर सभी लोगों की रूह कपा देता था।
जर्मनी में रहने वाले लगभग यहूदियों को एडोल्फ हिटलर मौत के घाट उतार चुका था और जो यहूदी केवल गिनती भर बचे थे, वह पहले ही जर्मनी छोड़कर दूसरे देशों में भाग गए थे।
एडोल्फ हिटलर पूरी दुनिया से यहूदियों की पूरी कौम को खत्म कर देना चाहता था। द्वितीय विश्वयुद्ध में जो त्रासदी दुनिया ने देखी है, वह इतिहास का बेहद डरावना समय था। आज भी जिन लोगों ने अपने नज़दीकियों को द्वितीय विश्वयुद्ध में खोया है, वह हिटलर की क्रूरता को भुला नहीं पाए हैं।
हिटलर और मेजर ध्यानचंद की कहानी बड़ी मशहूर है। हिटलर जर्मनी का एक क्रूर तानाशाह था। वह भी एक भारतीय हॉकी खिलाड़ी की तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाया, जब मेजर ध्यानचंद ने हिटलर के सामने उसके ही देश जर्मनी को हॉकी के खेल में हराया था।
जब बर्लिन ओलंपिक में हॉकी का अंतिम मैच चल रहा था, तो भारत ने जर्मनी को 8-1 से हरा दिया था। लगभग तीस हजार से ज्यादा लोगों के बीच बैठा हिटलर ध्यानचंद के इस अद्भुत प्रदर्शनी से आश्चर्यचकित था।
देखते ही देखते वह ध्यानचंद से मिलने के लिए मैदान में उतर गया और उसे जर्मनी की तरफ से खेलने का प्रस्ताव रखा। एडोल्फ हिटलर ने ध्यानचंद को लालच देते हुए यह कहा था, कि तुम्हारा देश तो गरीब है और अगर तुम हमारे देश की तरफ से खेलते हो तो मैं तुम्हें बहुत अमीर बना दूंगा बल्कि और भी मशहूर कर दूंगा।
हिटलर जैसे सनकी तानाशाह के सामने जब किसी की बोलती भी नहीं निकलती थी, तब मेजर ध्यानचंद ने बड़ी विनम्रता हो कर हिटलर का यह प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया। ध्यानचंद ने हिटलर को विनम्रता से यह उत्तर दिया, कि भारतीय खिलाड़ी खरीदने और बेचने के चीज नहीं होते हैं।
द्वितीय विश्वयुद्ध जैसे ही बड़ा स्वरूप लेते गया धीरे-धीरे करके सभी देश इस युद्ध में कूद पड़े और पूरी दुनिया में तानाशाह हिटलर का छाया हुआ खौफ घटने लगा। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस इत्यादि कई बड़े देशों ने जर्मनी को घेरना शुरू कर दिया। जिसके बाद तानाशाह हिटलर की सैन्य शक्ति बेहद गिर गई।
एडोल्फ हिटलर को अब यह अंदाजा लग गया था, कि जल्द ही उसकी सत्ता गिरने वाली है, जिसके कारण उसने अपने सलाहकार से सलाह सुनना भी बंद कर दिया था। कुछ ही समय के अंदर हिटलर के द्वारा कब्जा किए गए कई प्रदेशों को स्वतंत्र किया गया।
जिन क्षेत्रों में जर्मनी ने जबरन अपना अधिकार जमाया रखा था, वह कुछ पलों के अंदर ही हाथ से छूट चुका था। अंतिम में बर्लिन ही एकमात्र ऐसा जगह था, जहां एडोल्फ हिटलर ने अपनी पकड़ बनाए हुए था लेकिन अंत में हिटलर के सभी राज्यों का पतन हो गया।
इटली के तानाशाह मुसोलिनी की हत्या होने के बाद एडोल्फ हिटलर बेहद भयभीत हो गए थे और उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए बर्लिन में बेहद गहराई में लगभग 50 फीट नीचे एक सुरक्षित बंकर खुदवाया था। कहा जाता है कि उस बंकर में सभी आवश्यक सुविधाएं मौजूद थी।
एडोल्फ हिटलर की यह इच्छा थी की उनकी मौत भीड़ के आक्रोश के कारण ना हो। इसीलिए 30 अप्रैल 1945 के दिन एडोल्फ हिटलर और उनकी प्रेमिका ने शादी कर ली और अगले ही दिन उन्होंने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।